सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को लेकर चल रही सुनवाई ने देशभर में राजनीतिक और कानूनी हलचल मचा दी है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को केंद्र से पूछा कि क्या वह हिंदू धार्मिक न्यास बोर्डों में गैर-हिंदुओं और मुसलमानों को सदस्य बनाने के लिए कानून बनाएगी। साथ ही, कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि “आप अतीत को फिर से नहीं लिख सकते।” इससे साफ है कि कोर्ट इस कानून के कुछ प्रावधानों पर पुनर्विचार करने के पक्ष में है।
वक्फ कानून के विवादास्पद प्रावधान
नए वक्फ कानून के तीन प्रमुख प्रावधानों को लेकर सवाल उठाए गए हैं:
- वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति: क्या गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्डों में सदस्य बनाने से मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा?
- जिला कलेक्टर की भूमिका और शक्तियाँ: कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के निर्धारण और प्रबंधन में अधिक अधिकार दिए गए हैं, जो कई कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार संविधान के खिलाफ हैं।
- वक्फ संपत्तियों को डीनोटिफाई करने की सरकार की शक्ति: सरकार को वक्फ संपत्तियों को डीनोटिफाई करने का अधिकार देने से संपत्तियों के मालिकाना हक पर सवाल उठ सकते हैं।
इन प्रावधानों को लेकर लगभग 100 याचिकाएँ दायर की गई हैं, जिनमें प्रमुख वकील जैसे अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, राजीव शेखधर, संजय हेगड़े, हुजैफा अहमदी और राजीव धवन शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट की चिंता और संभावित आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए इसे “बहुत परेशान करने वाला” बताया है। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि जब मामला अदालत में विचाराधीन हो, तो ऐसे कदम नहीं उठाए जाने चाहिए जो “वातावरण को दूषित करें”। हालांकि, कोर्ट ने अभी तक वक्फ कानून पर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया है, लेकिन आगामी आदेशों की प्रतीक्षा की जा रही है।
मुख्य न्यायाधीश का सेवानिवृत्त होना और सुनवाई की निरंतरता
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि सुनवाई पूरी नहीं होती है, तो क्या नई पीठ मामले की सुनवाई करेगी या मौजूदा पीठ ही इसे जारी रखेगी। इस पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है।
बंगाल में वक्फ कानून के विरोध में हिंसा
वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा की घटनाएँ सामने आई हैं। 8 से 13 अप्रैल 2025 तक चली इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और 10 लोग घायल हुए। दर्जनों दुकानों को आग के हवाले किया गया, पुलिस वाहनों को जलाया गया और ट्रेन सेवाएँ बाधित की गईं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने इस हिंसा को भड़काया, जबकि भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने बाहरी तत्वों को हिंसा में शामिल होने दिया। यह स्थिति राजनीतिक लाभ के लिए दोनों पक्षों के प्रयासों को उजागर करती है।
नेशनल हेरल्ड केस में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आरोप
नेशनल हेरल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप पत्र दायर किया है। आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के माध्यम से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों को अवैध रूप से अधिग्रहित किया। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है, जबकि भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई बताया है।
निष्कर्ष
वक्फ कानून, बंगाल हिंसा और नेशनल हेरल्ड केस जैसे मुद्दे भारतीय राजनीति और समाज में गहरे प्रभाव डाल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई और आदेश इन मामलों की दिशा तय करेंगे। राजनीतिक दलों और नागरिक समाज को इन घटनाओं पर गहरी नजर रखनी होगी, ताकि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की जा सके।