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    Polygraph Test (Lie Detector Test) – झूंठ पता लगाने वाले टेस्ट की सच्चाई

    TPP TeamBy TPP TeamAugust 23, 2024No Comments3 Mins Read
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    polygraph test
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    Polygraph Test, जिसे आम भाषा में लोग Lie Detector टेस्ट भी कहते है, यह एक ऐसा परीक्षण है जिसका उपयोग व्यक्ति के झूठ बोलने या सच बोलने की पहचान के लिए किया जाता है। यह परीक्षण शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापता है जैसे कि दिल की धड़कन, रक्तचाप, और सांस की गति। इस लेख हम विस्तार से चर्चा करेंगे इसके इतिहास, प्रक्रिया, और इसकी सफलताओं एवं विफलताओं के बारे में।

    Table of Contents

    Toggle
    • पॉलीग्राफ टेस्ट का इतिहास (History of Polygraph Test)
    • पॉलीग्राफ टेस्ट की प्रक्रिया (Procedure of Polygraph Test)
    • पॉलीग्राफ टेस्ट की सफलताएँ (Success Rate of Polygraph Test)
    • पॉलीग्राफ टेस्ट की विफलताएँ (Failures of Polygraph Test)
    • निष्कर्ष

    पॉलीग्राफ टेस्ट का इतिहास (History of Polygraph Test)

    1920 के दशक में अमेरिकी वैज्ञानिक, जॉन ए. लार्सन ने पहली बार इस तकनीक का प्रयोग किया। इसके लिए लार्सन ने एक मशीन का आविष्कार किया, जो शरीर के विभिन्न शारीरिक संकेतों को रिकॉर्ड करती थी। इसके बाद, 1930 के दशक में, वैज्ञानिक लैरी वॉकर ने इस तकनीक में और भी सुधर किये। 1950 के दशक में, इसके व्यावसायिक उपयोग की शुरुआत हुई और यह परीक्षण कानून, प्रवर्तन और निजी जांच एजेंसियों के मध्य बेहद लोकप्रिय हो गया।

    पॉलीग्राफ टेस्ट की प्रक्रिया (Procedure of Polygraph Test)

    पॉलीग्राफ़ टेस्ट की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में विभाजित की जा सकती है:

    • तैयारी: परीक्षण से पहले, परीक्षक व्यक्ति से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि व्यक्ति परीक्षण के लिए तैयार है।
    • डिवाइस की सेटिंग: पॉलीग्राफ़ मशीन को व्यक्ति के शरीर पर विशेष सेंसर के माध्यम से जोड़ा जाता है। यह सेंसर दिल की धड़कन, रक्तचाप, सांस की गति और त्वचा की प्रतिक्रियाओं को मापते हैं।
    • सवाल-जवाब सत्र: परीक्षण के दौरान, व्यक्ति से विभिन्न प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों का उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि व्यक्ति सत्य बोल रहा है या झूठ। प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के साथ, पॉलीग्राफ़ मशीन शरीर की प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड करती है।
    • विश्लेषण: परीक्षण के बाद, रिकॉर्ड किए गए डेटा का विश्लेषण किया जाता है। विश्लेषक शारीरिक प्रतिक्रियाओं के आधार पर यह निर्धारित करने की कोशिश करता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है या सच।

    पॉलीग्राफ टेस्ट की सफलताएँ (Success Rate of Polygraph Test)

    पॉलीग्राफ़ टेस्ट के कई सफल उपयोग हैं:

    1. अपराध की जांच: यह परीक्षण कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा अपराधियों की सत्यता की जांच के लिए उपयोग किया जाता है।
    2. नौकरी की चयन प्रक्रिया: कुछ कंपनियाँ और संगठनों में, पॉलीग्राफ़ टेस्ट का उपयोग उम्मीदवारों की सत्यता और विश्वसनीयता का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
    3. संदिग्ध गतिविधियों की पहचान: यह परीक्षण संदिग्ध गतिविधियों या आपराधिक साजिशों की पहचान के लिए भी उपयोगी साबित हुआ है।

    पॉलीग्राफ टेस्ट की विफलताएँ (Failures of Polygraph Test)

    हालांकि पॉलीग्राफ़ टेस्ट के कई सफल उपयोग हैं, लेकिन इसके कुछ विफलताएँ भी हैं:

    1. सटीकता की कमी: कई बार पॉलीग्राफ़ टेस्ट की सटीकता पर सवाल उठते हैं। शारीरिक प्रतिक्रियाओं के आधार पर झूठ या सच का निर्धारण करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि ये प्रतिक्रियाएँ तनाव, घबराहट, या अन्य भावनात्मक स्थितियों से भी प्रभावित हो सकती हैं।
    2. कानूनी स्वीकार्यता: कुछ न्यायालय पॉलीग्राफ़ टेस्ट के परिणामों को कानूनी रूप से मान्यता नहीं देते हैं। यह परीक्षण हमेशा निर्णायक नहीं होता और इसे केवल एक संदर्भ के रूप में देखा जाता है।
    3. व्यक्तिगत भिन्नताएँ: हर व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाएँ अलग होती हैं, और कुछ लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं, जिससे पॉलीग्राफ़ टेस्ट की सटीकता प्रभावित हो सकती है।

    निष्कर्ष

    पॉलीग्राफ़ टेस्ट एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली उपकरण है जिसका उपयोग व्यक्ति की सत्यता का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। हालांकि इसके सफल उपयोग की संभावनाएँ हैं, लेकिन इसकी सटीकता और कानूनी स्वीकार्यता को लेकर कुछ विवाद भी हैं। इसके बावजूद, यह एक मूल्यवान उपकरण है और इसके विकास और सुधार की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

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