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    National Herald Case: क्या है नेशनल हेराल्ड केस, और क्या है इसका कांग्रेस से कनेक्शन

    Pushpesh RaiBy Pushpesh RaiApril 16, 2025No Comments6 Mins Read
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    National Herald Case: क्या है नेशनल हेराल्ड केस, और क्या है इसका कांग्रेस से कनेक्शन
    National Herald Case: क्या है नेशनल हेराल्ड केस, और क्या है इसका कांग्रेस से कनेक्शन
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    भारत की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड केस में मनी लॉन्ड्रिंग का चार्जशीट दायर किया। इस केस में देश के प्रमुख राजनीतिक परिवार के खिलाफ इतने गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है।

    चार्जशीट धनशोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) की धारा 3, 44, 45 और 70 के तहत दायर की गई है, जिसमें कंपनी के अधिकारियों और पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की कोशिश की गई है।

    Table of Contents

    Toggle
    • चार्जशीट में कौन-कौन आरोपी हैं?
    • क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
    • 2000 करोड़ की संपत्तियों की साजिशन हड़प
    • कैसे हुआ ट्रांसफर? समझिए पूरा फाइनेंशियल मॉडल
    • ₹988 करोड़ की अवैध कमाई
    • सुब्रमण्यम स्वामी की भूमिका
    • राजनीतिक दृष्टिकोण से क्या है इसका असर?
    • नेशनल हेराल्ड की ऐतिहासिक भूमिका
    • निष्कर्ष

    चार्जशीट में कौन-कौन आरोपी हैं?

    प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर चार्जशीट में सोनिया गांधी को आरोपी नंबर 1 और राहुल गांधी को आरोपी नंबर 2 बनाया गया है। इनके अलावा अन्य जिन लोगों और संस्थाओं को आरोपी बनाया गया है, वे हैं:

    • सैम पित्रोदा, ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष
    • सुमन दुबे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता
    • यंग इंडियन लिमिटेड (YIL)
    • डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड
    • सुनील भंडारी, डोटेक्स मर्चेंडाइज से जुड़े

    क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

    नेशनल हेराल्ड एक ऐतिहासिक अखबार है जिसकी स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसका प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के तहत होता था। इसके तहत तीन अखबार चलाए जाते थे — नेशनल हेराल्ड (अंग्रेज़ी), नवजीवन (हिंदी) और कौमी आवाज़ (उर्दू)।

    2008 में AJL ने आर्थिक तंगी और पुराने प्रिंटिंग सिस्टम के कारण अखबारों का प्रकाशन बंद कर दिया। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने AJL की मदद के लिए करीब ₹90.21 करोड़ का ऋण दिया। यहीं से इस पूरे केस की जड़ें जुड़ती हैं।

    2000 करोड़ की संपत्तियों की साजिशन हड़प

    प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि कांग्रेस नेताओं द्वारा एक आपराधिक साजिश रची गई, जिसके तहत AJL की ₹2,000 करोड़ की संपत्तियों को मात्र ₹50 लाख में Young Indian Limited (YIL) को ट्रांसफर कर दिया गया। यह ट्रांसफर YIL को कांग्रेस द्वारा दिए गए कर्ज को शेयर में बदल कर किया गया।

    चार्जशीट में कहा गया है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने YIL के जरिए AJL की सभी संपत्तियों के “फायदेमंद स्वामित्व” (beneficial ownership) को प्राप्त कर लिया। वे YIL के प्रत्येक 38% शेयरधारक हैं, यानि दोनों मिलकर 76% हिस्सेदारी रखते हैं।

    बाकी के 24% शेयर पूर्व कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास थे, जिनका अब निधन हो चुका है। उनके खिलाफ कार्रवाई “अबेटेड” (abated) कर दी गई है, लेकिन ED ने संकेत दिया है कि वह इस मामले में सप्लिमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल कर सकती है।

    कैसे हुआ ट्रांसफर? समझिए पूरा फाइनेंशियल मॉडल

    ED की जांच में पाया गया कि कांग्रेस ने AJL को जो ₹90.21 करोड़ का कर्ज दिया था, उसे ₹9.02 करोड़ के इक्विटी शेयरों में बदल दिया गया। इसके बाद ये सारे शेयर YIL को ट्रांसफर कर दिए गए, जिसने AJL के ऊपर मालिकाना हक हासिल कर लिया।

    हालांकि, YIL को धारा 25 (अब धारा 8) के तहत एक ‘नॉन-प्रॉफिट’ कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था। इसका मतलब यह था कि YIL किसी भी प्रकार का मुनाफा अपने सदस्यों में वितरित नहीं कर सकती थी। लेकिन ED का दावा है कि कंपनी ने कोई भी चैरिटेबल कार्य नहीं किया, और इसके जरिए सिर्फ संपत्तियों को ट्रांसफर करने का माध्यम बनाया गया।

    ₹988 करोड़ की अवैध कमाई

    ED ने जांच में यह भी पाया कि YIL और AJL की नेटवर्क का इस्तेमाल कर के फर्जी चंदे, एडवांस रेंट और विज्ञापनों के जरिए करीब ₹18 करोड़ की अवैध कमाई की गई। इसके अलावा:

    • ₹38 करोड़ एडवांस किराया
    • ₹29 करोड़ विज्ञापन से कमाई
    • कुल “प्रोसीड्स ऑफ क्राइम”: ₹988 करोड़
    • मौजूदा संपत्तियों का बाजार मूल्य: ₹5,000 करोड़

    ED ने इस महीने की शुरुआत में ही AJL की ₹661 करोड़ की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की है। दिल्ली, मुंबई और लखनऊ स्थित संपत्तियों के रजिस्ट्रार को नोटिस भेजकर कब्जा लेने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। साथ ही संपत्ति के वर्तमान अधिवासियों को परिसर खाली करने का आदेश दिया गया है।

    सुब्रमण्यम स्वामी की भूमिका

    यह मामला साल 2012 में बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में एक निजी शिकायत के रूप में दर्ज कराया गया था। स्वामी का आरोप था कि AJL की संपत्तियों को धोखाधड़ी और दुर्भावनापूर्ण तरीके से YIL को ट्रांसफर किया गया और इसके पीछे गांधी परिवार की अहम भूमिका रही।

    पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश के बाद 2021 में ED ने इस मामले में औपचारिक जांच शुरू की। इसके बाद कई जगहों पर छापेमारी और दस्तावेजों की जांच की गई, जिसमें कई वित्तीय अनियमितताओं के सबूत ED को मिले।

    राजनीतिक दृष्टिकोण से क्या है इसका असर?

    यह पहला ऐसा मामला है जहां किसी निजी शिकायत के आधार पर कोर्ट की संज्ञानता के बाद ED ने जांच शुरू की और अब जाकर चार्जशीट दायर की गई है। चूंकि इस मामले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी प्रत्यक्ष आरोपी बनाए गए हैं, इसलिए यह कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट बन सकता है।

    वहीं कांग्रेस पार्टी इस पूरे मामले को राजनीतिक प्रतिशोध करार देती आई है। पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा विपक्ष को दबाने और लोकतंत्र की आवाज़ को कुचलने के लिए ED जैसे एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

    नेशनल हेराल्ड की ऐतिहासिक भूमिका

    यह उल्लेखनीय है कि नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में पंडित नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम के औजार के रूप में की थी। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने इस अखबार पर प्रतिबंध भी लगाया था। वर्षों तक इसने कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने का कार्य किया। 2008 में बंद होने के बाद 2016 में इसे फिर से शुरू किया गया, लेकिन विवादों के कारण यह दोबारा सुर्खियों में आ गया।

    निष्कर्ष

    अब जबकि ED ने गांधी परिवार और अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है, तो यह देखना होगा कि अदालत इस पर क्या रुख अपनाती है। अगर अदालत आरोपों को सही मानती है तो गांधी परिवार को लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।

    वहीं कांग्रेस पार्टी इसे सत्तारूढ़ दल की साजिश बता रही है और राजनीतिक मोर्चे पर इसका मुकाबला करने की रणनीति बना रही है।

    इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या भारत की राजनीति में अतीत की विरासतें और वर्तमान की सत्ता के बीच का टकराव, देश की संस्थाओं को प्रभावित कर रहा है?

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    Pushpesh Rai
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    एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।

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