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    ANI vs YouTube Creators Controversy: क्या है ये विवाद, कॉपीराइट उल्लंघन या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला? जानिए सब कुछ

    Pushpesh RaiBy Pushpesh RaiMay 28, 2025Updated:June 5, 2025No Comments4 Mins Read
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    ANI vs YouTube Creators Controversy
    ANI vs YouTube Creators Controversy Image by NewsLaundry
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    नई दिल्ली: भारत के डिजिटल कंटेंट इकोसिस्टम में इस समय एक बड़ा विवाद उभर कर सामने आया है, जिसमें प्रमुख न्यूज़ एजेंसी एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (ANI) और कई स्वतंत्र यूट्यूब क्रिएटर्स आमने-सामने हैं। विवाद की जड़ है, ANI द्वारा यूट्यूब क्रिएटर्स पर लगाए गए कॉपीराइट स्ट्राइक, जिससे कई चैनल्स के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।

    हालांकि कई राजनीतिक कार्यकर्ता और फ्री स्पीच समर्थक इसे “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला” बता रहे हैं, लेकिन कानूनी नजरिए से यह मामला एक व्यावसायिक कॉपीराइट उल्लंघन का है, न कि सेंसरशिप का।

    Table of Contents

    Toggle
    • क्या है पूरा मामला?
    • मामला “सेंसरशिप” नहीं, कॉपीराइट का है
    • क्या “फेयर यूज” लागू होता है?
    • ANI पर सवाल उठाना ज़रूरी क्यों है?
      • ताकतवर बनाम छोटा क्रिएटर का संघर्ष
      • लोकतांत्रिक बहस पर असर
      • Selective Targeting?
    • ANI को क्या करना चाहिए?
    • निष्कर्ष

    क्या है पूरा मामला?

    ANI एक निजी समाचार एजेंसी है, न कि कोई सार्वजनिक प्रसारक जैसे दूरदर्शन। यह राजनीतिक कार्यक्रमों, प्रेस कॉन्फ्रेंस और घटनाओं की वीडियो फुटेज बनाकर बड़े मीडिया हाउस और ब्रॉडकास्टर्स को लाइसेंस के तहत उपलब्ध कराती है। यही इसकी आय का प्रमुख स्रोत है।

    कई स्वतंत्र यूट्यूब क्रिएटर्स ने ANI की वीडियो क्लिप्स का उपयोग कर के अपने कमेंट्री या एक्सप्लेनर वीडियो बनाए और उन पर विज्ञापन व सब्सक्रिप्शन के जरिए कमाई की। ANI ने ऐसे कई चैनलों को कॉपीराइट स्ट्राइक देकर वीडियो हटवाए, और लाइसेंस लेने का विकल्प भी पेश किया।

    मामला “सेंसरशिप” नहीं, कॉपीराइट का है

    ANI का कहना है, “हम अपने कॉन्टेंट के एकमात्र कॉपीराइट स्वामी हैं। इसे सार्वजनिक रूप से प्रसारित करने या लाइसेंस देने का अधिकार सिर्फ हमारे पास है। यह कोई जबरदस्ती नहीं, बल्कि हमारे कानूनी अधिकारों की रक्षा है।”

    ANI की ओर से क्रिएटर्स को लाइसेंस के लिए विकल्प भी दिए गए हैं। एक यूट्यूबर सुमित ने बताया कि उनसे 15 से 18 लाख रुपये तक की फीस मांगी गई, जो उन्होंने एक साल के लाइसेंस के लिए चुका दी।

    क्या “फेयर यूज” लागू होता है?

    भारत के कॉपीराइट कानून की धारा 52 “फेयर डीलिंग” की अनुमति ज़रूर देती है, लेकिन उसकी भी सीमाएं हैं। आलोचना, शोध या समाचार रिपोर्टिंग के संदर्भ में सीमित और ट्रांसफॉर्मेटिव उपयोग की अनुमति होती है। लेकिन जब कोई क्रिएटर पूरा वीडियो इस्तेमाल करता है और उससे कमाई करता है, तो वह “फेयर यूज” के दायरे से बाहर हो जाता है।

    उदाहरण के तौर पर, IPL की फुटेज को कोई भी यूट्यूबर “फेयर यूज” के नाम पर उपयोग नहीं कर सकता, क्योंकि वह कॉमर्शियल प्रॉपर्टी है। ठीक उसी तरह, ANI की न्यूज फुटेज का अनधिकृत उपयोग भी वैधानिक रूप से गलत है।

    ANI पर सवाल उठाना ज़रूरी क्यों है?

    ANI भले ही एक निजी न्यूज़ एजेंसी हो, लेकिन इसकी भूमिका और प्रभाव एक सार्वजनिक संस्थान जितना बड़ा है। लाखों लोगों तक इसकी रिपोर्टिंग पहुँचती है, और जब ऐसी संस्था स्वतंत्र क्रिएटर्स के खिलाफ बड़ी धनराशि वसूलने लगे, तो यह सवाल उठना लाज़मी है:

    ताकतवर बनाम छोटा क्रिएटर का संघर्ष

      एक स्वतंत्र यूट्यूबर, जो अपनी मेहनत से दर्शक बना रहा है, क्या उसे ANI जैसी विशाल एजेंसी के साथ बराबरी की बातचीत करने का मौका मिलता है? जब आप एक छोटी गलती पर 15-18 लाख रुपये की डिमांड करते हैं, तो यह बाजार की स्वाभाविक प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि डर पैदा करने की रणनीति बन जाती है।

      लोकतांत्रिक बहस पर असर

        ANI के वीडियो ज़्यादातर सार्वजनिक घटनाओं — जैसे राजनीतिक भाषण, संसद की कार्यवाही, प्रेस कॉन्फ्रेंस आदि — पर आधारित होते हैं। ये सब घटनाएं जनहित में होती हैं। ऐसे में क्या एक निजी कंपनी को यह हक़ है कि वो जनसंपत्ति जैसे फुटेज पर एकाधिकार जमाए?

        Selective Targeting?

          कई आरोप ये भी हैं कि ANI सिर्फ उन्हीं यूट्यूबर्स को निशाना बना रही है जो सरकार के आलोचक हैं। अगर ये सच है, तो ये कॉपीराइट नहीं, बल्कि राजनीतिक टूल बनता जा रहा है — जो कि लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

          “फेयर यूज़” को कमजोर करना खतरनाक है

          अगर हर न्यूज़ एजेंसी यह कहे कि उसकी वीडियो क्लिप्स का कोई भी अंश उपयोग नहीं कर सकता, तो इसका मतलब है कि:

          • मीडिया की आलोचना नहीं हो पाएगी
          • व्यंग्य, विश्लेषण और बहस बंद हो जाएगी
          • सत्ता को जवाबदेह ठहराने वाले छोटे प्लेटफ़ॉर्म्स की आवाज़ दब जाएगी

          ANI को क्या करना चाहिए?

          1. क्रिएटर्स के साथ बातचीत करे, धमकी नहीं दे
          2. फेयर यूज़ के दायरे को स्पष्ट करे, ताकि रचनात्मक आलोचना बनी रहे
          3. छोटे क्रिएटर्स के लिए सस्ती या मुफ्त लाइसेंस स्कीम शुरू करे
          4. पारदर्शिता दिखाए कि किन वीडियो पर क्यों कार्रवाई हुई

          निष्कर्ष

          ANI का काम है खबरें देना, न कि रचनात्मक स्पेस को डराना या कुचलना। अगर वो एक कॉरपोरेट की तरह सिर्फ कमाई पर ध्यान देगा और सार्वजनिक विमर्श पर रोक लगाएगा, तो उसे आलोचना झेलनी ही पड़ेगी।

          समाचार जनता के लिए है, न कि सिर्फ उन कंपनियों के लिए जो उसे बेचती हैं।

          अगर आपको ANI की ये नीति अनुचित लगती है, तो ये कहने में बिल्कुल संकोच मत करें, ये आलोचना ज़रूरी है।

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          Pushpesh Rai
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          एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।

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