भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक, पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपियों में शामिल हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को आखिरकार बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। भारतीय जांच एजेंसियों के दो महीने तक चले समन्वय और प्रयासों के बाद चोकसी को शनिवार को बेल्जियम पुलिस ने हिरासत में लिया। चोकसी पिछले कई वर्षों से फरार था और माना जा रहा है कि वह 2021 के अंत में एंटीगुआ से भागकर बेल्जियम पहुंचा था।
अब भारत सरकार चोकसी को प्रत्यर्पित करने की दिशा में सक्रिय हो गई है। हालांकि, चोकसी के वकील ने संकेत दिया है कि वे चोकसी की खराब सेहत का हवाला देकर जमानत की मांग करेंगे।
कौन है मेहुल चोकसी?
मेहुल चोकसी, उम्र 65 वर्ष, एक भारतीय मूल के हीरा व्यापारी हैं और गीतांजलि ग्रुप के पूर्व मालिक रह चुके हैं। वह हीरे और आभूषणों के कारोबार में एक बड़ा नाम थे, लेकिन 2018 में उनका नाम 13,000 करोड़ रुपए के PNB घोटाले में आने के बाद से विवादों में आ गया।
चोकसी, उनके भतीजे नीरव मोदी, और उनके परिवार के सदस्य, कर्मचारियों, बैंक अधिकारियों समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में केस दर्ज किया था। यह धोखाधड़ी मुंबई के PNB ब्रैडी हाउस शाखा में 2011 से 2018 के बीच की गई थी।
चोकसी की फरारी और अंतरराष्ट्रीय भागदौड़
2018 में घोटाले के उजागर होने के ठीक पहले, मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता हासिल कर ली थी। उन्होंने यह नागरिकता वहां के Citizenship by Investment Program के तहत ली, जिससे वह भारत के कानून की पकड़ से बाहर हो गए।
2021 में एक बार फिर चोकसी चर्चा में आए, जब उन्हें डोमिनिका में गिरफ्तार किया गया। उस समय उन्होंने आरोप लगाया था कि भारतीय एजेंसियों द्वारा उनका अपहरण कर उन्हें जबरन डोमिनिका लाया गया। हालांकि, यह दावा विवादास्पद रहा और कानूनी जाँच में इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
अब बेल्जियम में गिरफ्तारी के साथ, यह संभावना बन रही है कि मेहुल चोकसी को जल्द भारत लाया जा सकता है, जहां उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा।
क्या है PNB घोटाला?
पंजाब नेशनल बैंक घोटाला, भारत के इतिहास का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला माना जाता है। इस घोटाले में लगभग ₹13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी। यह मामला 2018 की शुरुआत में तब सामने आया जब PNB ने पाया कि उसके ब्रैडी हाउस शाखा में दो कर्मचारियों ने बिना किसी आधिकारिक अनुमति के Letters of Undertaking (LoUs) जारी किए।
LoUs बैंक द्वारा जारी की जाने वाली गारंटी होती है, जिसके आधार पर कोई कंपनी विदेशों में कर्ज ले सकती है। इस घोटाले में PNB के दो कर्मचारियों ने SWIFT प्रणाली का दुरुपयोग करते हुए नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों को LoUs जारी किए, लेकिन उन्हें बैंक के कोर सिस्टम में दर्ज नहीं किया गया। इसका फायदा उठाकर नीरव मोदी की कंपनियां — Diamond R US, Solar Exports और Stellar Diamonds — अन्य भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से बिना पर्याप्त गारंटी के भारी कर्ज हासिल करने में सफल रहीं।
यह पूरा खेल 2011 से 2018 तक चलता रहा, और जब तक घोटाला उजागर हुआ, तब तक 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि की धोखाधड़ी हो चुकी थी।
भारत की कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
भारत सरकार ने चोकसी और नीरव मोदी के खिलाफ Interpol रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराया। साथ ही, उनकी संपत्तियों को जब्त किया गया और उन्हें फरार आर्थिक अपराधी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हुई।
नीरव मोदी को लंदन में गिरफ्तार किया गया था और उसके खिलाफ प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है। वहीं, मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी में अब तक बेल्जियम और भारत की एजेंसियों के बीच दो महीने तक चली बातचीत का अहम योगदान रहा है।
अब आगे क्या?
भारत सरकार अब मेहुल चोकसी को प्रत्यर्पित करने की तैयारी में जुटी है। हालांकि, चोकसी के वकील का दावा है कि उनकी सेहत बेहद नाजुक है और वे जमानत की अर्जी देंगे। उन्होंने इससे पहले भी कई बार स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए भारत लौटने से इनकार किया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को उम्मीद है कि अब जब चोकसी गिरफ्तार हो चुका है, तो प्रत्यर्पण प्रक्रिया जल्द पूरी होगी और उन्हें भारत लाकर न्यायिक प्रक्रिया के तहत पेश किया जाएगा।
देश के लिए क्या मायने रखती है यह गिरफ्तारी?
मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी भारत के कानूनी और राजनयिक प्रयासों की बड़ी सफलता मानी जा रही है। यह संदेश देती है कि कोई भी अपराधी कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह देश में हो या विदेश में।
यह मामला सिर्फ एक आर्थिक घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे उच्च पदों पर बैठे लोग और बैंक कर्मी आपसी मिलीभगत से देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुँचा सकते हैं। साथ ही यह भी जरूरी है कि ऐसे मामलों में जल्द सुनवाई हो और सजा सुनिश्चित की जाए, जिससे भविष्य में ऐसे घोटालों पर लगाम लगाई जा सके।
निष्कर्ष
मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह घटना दिखाती है कि भारत की जांच एजेंसियां और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिलकर कैसे एक वांछित अपराधी को पकड़ सकती हैं, भले ही वह कितनी ही दूर क्यों न भागा हो। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या चोकसी को जल्द भारत लाया जाएगा और क्या न्यायिक प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ेगी।
देश को उम्मीद है कि इस गिरफ्तारी से एक नया उदाहरण स्थापित होगा और आने वाले समय में ऐसे धोखाधड़ी करने वाले आर्थिक अपराधियों को जल्दी न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।